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तीर्थ की सम्पदा

तीर्थकर उद्यान

तीर्थकर उद्यानः
यह 24 तीर्थंकर का संपूर्ण परिचय कराने वाला अनोखा उद्यान है जो पूरे वातावरण को सुरभित करता है। यहाँ तीर्थकरों की यशोगाथा युक्त केवलज्ञान प्राप्त मुद्रा में प्रतिमाएँ अलग अलग देहरी में विराजित हैं और देहरी के पीछे उन वृक्षों को रोपित किया गया जिनके नीचे प्रभु को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। यहाँ श्री महावीर स्वामी कमल मंदिर प्रतिष्ठित हुई है।

तीर्थ दर्शन उद्यानः
गिरनार, कदंबगिरि, तालाजा, शंखेश्वर, चम्पापुरी, ओसियाँ, आबू सहित 24 तीर्थों से युक्त तीर्थ दर्शन उद्यान पूजनीय एवं दर्शनीय हैं। यहाँ मध्य में शाश्वता जिन मंदिर युक्त श्री राजेन्द्रसूरी गुरु मंदिर का अनूठे स्थापत्य कला का मनोरम निर्माण चल रहा है।

Shri Uvasaggaharam Parshva Teerth is not merely a place of devotion. it also is an abode of total dedication to the God Almighty. An unparallel seat of Yoga. Sadhana (Concentration to sublimate with worship through renouncing the worldly bindings and understanding the past under the blessings of Teerthankar Shri Parshva Prabhu. Close-by is Meru-Parvat followed by 'Teerthankar-Uclyan' (Garden) and then the Teerth Darshan Udyan'.

The devoted visiting piligrims get a unique opportunity of sacred sojourn over here almost in a manner such as 'All in one' place. This Teerth perhaps is the first of its kind which glows with grace and blessings of all other Jain-Teerths. The Kesharia. Teerth built in this garden (Udyan) is enriched with the revered idol of first Teerthankar Shree Rishabh Deo, sculpted by famous King Chandragupt Mourya. Various Dehries in this graceful garden have been recently established (i.e. on 17th April 2003)

प्राकृतिक उपहारों से सुसज्ज आने वाले कल को सौगात :
श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा ने तीर्थोद्धार-जीर्णोद्धार की एतिहासिक गरिमामय गाथा लिखते हुए अपने सर्वोदयी विश्वास विशाल जनमानस में स्थापित किया है। तीर्थ परिसर के विशाल भू-भाग में तीर्थकर उद्यान निर्मित है यहाँ परम तारक देवाधिदेव श्री ऋषभदेव प्रभु से लेकर शासनपति श्री महावीर स्वामी तक 24 तीर्थकर परमात्माओं को जिन वृक्षों के नीचे केवल ज्ञान प्राप्त हुआ वह वृक्ष रोपित किया गया है। प्रत्येक परमात्मा की केवल ज्ञान मुद्रा में प्रतिमा प्रतिष्ठित है। यहाँ तीर्थकर परमात्माओं की प्रेरक यशोगाथा शिलालेख पर उत्कीर्ण किया गया है। संदर्भित ग्रंथो में केवलज्ञान वृक्षों की वैज्ञानिक शोधपरक जानकारी को आलेखित किया गया है जो वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के लिए अनुपम सौगात है।

नूतन स्रहसाब्दी 1 जनवरी 2000 को वि.सं. 2056 वी.सं. 2526 से उद्यान प.पू.साध्वी श्री निपुणाश्रीजी पू.सा. जतनकंवरजी एवं पू.सा.आगमरसा श्री जी म.सा. की मंगलमयी निश्रा में वीतराग वंदना हेतु अग्रणी धर्मनिष्ठ समाजसेवी श्री रतनलाल मगनलाल देसाई कलकत्ता ने महोत्सवपूर्वक राष्ट्र को समर्पित किया।

तीर्थकर उद्यान में श्रााविका चम्पाबेन जयंतिलाल दानसुंगभाई अजबानी धानेरा डायमंडस परिवार ने कलात्मक श्री महावीर कमल मंदिर का निर्माण कराया जिसकी प्रतिष्ठा गच्दाधिपति दीक्षा युग प्रवर्तक प.पू.आ. श्रीमद् रामचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न तपोनिधि आ.श्री गुणयश सूरी.जी म.सा. के नेत्रतारक प्रवचन प्रभावक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय कीर्तियश सूरी जी महाराजा की निश्रा में चैत्र बदी 4 दि.20.03.2014 गुरुवार को जिनभक्ति महोत्सव के साथ सम्पन्न हुआ।

श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ

तीर्थोद्धार मार्गदर्शक प्रतिष्ठाचार्य